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अन्तर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस हर वर्ष 11 दिसम्बर को मनाया जाता है ।पर्वत इस धरा की शोभा हैं । पृथ्वी आकार की दृष्टि से सौर मण्डल के आठ ग्रहों में अवरोही क्रम में पांचवें स्थान का ग्रह है ।सूर्य से दूरी के क्रम में यह तीसरे स्थान पर आता है ।पृथ्वी की सतह का लगभग 29 प्रतिशत भाग भू क्षेत्र है जिस के मुख्य रूप पर्वत, पहाड़ियां, पठार,मैदान, मरुस्थल और द्वीप हैं।ये भिन्न-भिन्न रूप धरती पर पारिस्थितिकी,जलवायु,मौसम तथा जीवन के सार को नियंत्रित करते हैं।
धरती की सतह पर पर्वत भूमि का सब से ऊंचा रूप है ।समुद्र तल से इस की ऊंचाई 300 मीटर से अधिक होती है ।इस से कम ऊंचाई का रूप पहाड़ी कहलाता है ।पर्वत या पहाड पृथ्वी की भू-सतह पर प्राकृतिक रूप से ऊंचा उठा हुआ हिस्सा होता है जो ज्यादातर आकस्मिक रूप से उभरा होता है।
पर्वत थरती की सुन्दरता और महत्व का प्रतीक है।पर्वतों के महत्व के बारे में जागरूकता बढाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने 2002 को अन्तर्राष्ट्रीय पर्वत वर्ष घोषित किया था।इस घोषणा के बाद 11दिसम्बर 2003 को पहली बार अन्तर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस मनाया गया था।तब से प्रतिवर्ष इस दिवस को अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस के रूप में मनाया जाता है।इस वर्ष इस का विषय है :
“पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करना ।“पर्वत पारिस्थितिक तंत्र को बहुत प्रभावित करते हैं। हमारी भू सतह पर ऊंचाई के साथ तापमान घटता जाता है ।पर्वतों की ऊंचाई और कम तापमान वर्षा बरसाने में सहायक होता है।भारत में मौनसून हवाएं वर्षा का रूप धारण करती हैं।इस कारण उत्तर भारत की नदियों में साल भर पानी रहता है।अलग अलग ऊंचाई पर अलग अलग पौधे और जानवर होते हैं।पहाड़ों में कृषि योग्य भूमि कम होती है,परन्तु वनस्पति जगत की दृष्टि से ये क्षेत्र बहुत समृद्ध होते हैं।ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अनेक जलविद्युत परियोजनाएं शुरु की गई हैं जो देश की आर्थिकी और समृद्धि का स्रोत हैं।पर्वतों में अनेक स्वास्थ्यवर्धक स्थान हैं जो पर्यटनस्थल के रूप में क्षेत्र की आर्थिकी में सहायक होते हैं।पृथ्वी पर लगभग 109 पर्वत मौजूद हैं ।कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवासस्थान माना जाता है।भारत में विश्व का सब से ऊंचा पर्वत हिमालय पर्वत है जो 8848 मीo ऊंचा है।विश्व का सब से लम्बा पर्वत एंडीज पर्वत है जो दक्षिणी अमेरिका के पश्चिमी छोर पर स्थित है।भारत की भौगोलिक संरचना में अरावली पर्वत प्राचीनतम पर्वत है जो करीब 870 मिलियन वर्ष प्राचीन है।सिक्किम के उत्तर पश्चिम भाग में नेपाल और भारत की सीमा पर स्थित कंचनज॔गा भारत की सब से ऊंची चोटी है।इस की ऊंचाई 8586 मीटर है जो दुनिया की तीसरी सब से बड़ी ऊंची चोटी है।
हमें पर्वतों के महत्व को समझना चाहिए। इनको प्रदूषण से बचाना बहुत आवश्यक है।इनके साथ छेडछाड किसी त्रासदी को निमंत्रण देना है।प्राचीन काल में पर्वतों की पूजा की जाती थी ।समुद्र मंथन मे सुमेरू पर्वत की मधाणी बनाई गई थी। पर्वत के लिए अनेक पर्यायवाची शब्द हैं ,जैसे शैल,नग, भूधर ,पहाड,अचल,गिरि ,महीधर आदि ।इस से यह प्रतीत होता है कि साहित्य में भी इस का प्रयोग प्रचुर मात्रा मे हुआ है ।